Showing posts with label जिन्दगी. Show all posts
Showing posts with label जिन्दगी. Show all posts

Monday, January 06, 2014

दर्द-ए-जिंदगी












जिंदगी दर्द में दफ़न हो गई इक रात,
उदासी बिखर गई चाँदनी में घुल कर....!!
चाँद ने उगले दो आँसू,
ज़र्द साँसें भी फड़फड़ा कर बुझ गयी......!!

इस दफा चिता पर मेरे-
मेरी रूह भी जल उठेगी.........!!




मानव मेहता 'मन'  

Wednesday, June 19, 2013

जिंदगी











.......कभी गरम धूप सी चुभती है जिंदगी,
कभी हसीं शाम सी कोमल लगती है जिंदगी....

कभी मासूम सुलझी सी दिखती है जिंदगी,
कभी उलझनों के जाले बुनती है जिंदगी......

कभी लगता है कि ये अपनी ही हो जैसे,
कभी गैरों सी अजनबी लगती है जिंदगी......

कभी झरनों  सा तूफान लगती है जिंदगी,
कभी नदी सी खामोश लगती है जिंदगी.......!!



मानव ‘मन’

Thursday, May 16, 2013

हाल-ए-जिन्दगी
















ना राह ना मंजिल, कुछ ना पाया जिन्दगी में
ना जाने कैसा मोड़ ये आया जिन्दगी में


तकलीफ,दर्द,चुभन,पीड़ा सब कुछ मिले इससे
फ़कत एक खुशी को ही ना पाया जिन्दगी में

वक़्त के मरहम ने सभी घाव तो भरे मेरे
मगर जख़्मों से बने दाग को पाया जिन्दगी में

औरों की खुशी के लिए अपनी खुशी भूल गए
मुस्कराते हुए अकसर गम छुपाया जिन्दगी में

तन्हाइयों को चीरती आवाज ना सुन सका कोई
इस कदर खुद को अकेला पाया जिन्दगी में..... 



मानव मेहता 'मन'

Thursday, May 02, 2013

रेस










इक ‘रेस’ सी लगी है मानो
दौड़ते जाते हैं सब एक दूसरे से आगे –

जाने सफर जिंदगी का मुकम्मल कब होगा !!


मानव मेहता ‘मन’ 

Saturday, April 20, 2013

प्यार के रंगों से सजी जिंदगी




जब से बा-रंग हुई है जिंदगी,
खुद को ढूँढता फिरता हूँ मैं...
न जाने किस ओर गुम हो गया हूँ मैं,
हो गर वाकिफ़ तो बताओ पहचान मेरी......

कुछ इस तरह से है ; कि जिंदगी में,
भर आया है इक प्यार का दरिया...
डूब गया हूँ शायद मैं इसमे,
या तैर रहा हूँ मौजे-सुखन में...
नहीं एहसास अब कोई
इक दर्द-ए-इश्क के सिवा.....

इक पल में ठहर गई थी वो शाम,
जब कोई मेरे सिरहाने में आकर
चुपचाप दबी आवाज में कुछ कह गया था....
मेरे दिल के ‘फसील’ में कोई,
बे-आवाज हो गया था दाखिल,
तब से ठहरी हुई सी है जिंदगी मेरी...
और रुका हुआ हूँ मैं,
बस इक उस अदद आवाज के सहारे...

तमाम फासले जो इक अदद से,
हमारे दरम्यान फैला चुके थे अपनी बाजुएँ,
कि अचानक गुम हो गये,
उस एक लहजा में .....

और मेरी बाहों में सिमट आई तभी से,
प्यार के रंगों से सजी जिंदगी ......!!



मानव मेहता ‘मन’