Showing posts with label मोहब्बत. Show all posts
Showing posts with label मोहब्बत. Show all posts

Friday, March 06, 2020

मोहब्बत का टुकड़ा















देर रात जब मोहब्बत ने
दस्तक दी चौखट पर
मैनें अपनी रूह को जला
दिल को रोशन कर दिया
लफ्ज़ दर लफ्ज़ 
चमकने लगे ज़हन में
मैनें एक एक करके
इश्क़ के सभी हर्फ़ पढ़ डाले
इश्क़ मेहरबान हुआ मुझ पर
दुआएं कबूल हुईं मेरी
हर्फे- मोहब्बत में
तेरा नाम लिखा पाया...!!

देर रात जब मोहब्बत ने
दस्तक दी चौखट पर
तेरी मोहब्बत का इक टुकड़ा
यूँ आ गिरा दामन में मेरे...!!



~ मानव 'मन'

Thursday, March 05, 2020

मनचाहा...











मैंने एक गुल्लक बनाई हुई है
अक्सर तेरे लफ़्ज़ों से
भरता रहा हूँ इसको...
तू जब भी मिलती थी मुझसे
बात करती थी
तो भर जाती थी ये...
ख़ुशनुमा, रुआंसे, उदास, तीखे
मोहब्बत भरे...
हर तरह के लफ्ज़
भरे हुए हैं इसमें...

अब जबकि मैं,
तुझसे बिछड़ कर तन्हा रहता हूँ __
निकाल कर इन्हें खर्च करता हूँ...
नज़्म बुन लेता हूँ, 
और सुन लेता हूँ --
तेरे लफ़्ज़ों से
अपना 'मनचाहा'...!!!



~ मानव 'मन'

Monday, January 06, 2014

दर्द-ए-जिंदगी












जिंदगी दर्द में दफ़न हो गई इक रात,
उदासी बिखर गई चाँदनी में घुल कर....!!
चाँद ने उगले दो आँसू,
ज़र्द साँसें भी फड़फड़ा कर बुझ गयी......!!

इस दफा चिता पर मेरे-
मेरी रूह भी जल उठेगी.........!!




मानव मेहता 'मन'  

Friday, March 29, 2013

अनकहे लफ्ज़
















कुछ अनकहे लफ्ज़-
टांगे हैं तेरे नाम,
इक नज़्म की खूंटी पर...
और वो नज़्म-
तपती दोपहर में...
नंगे पाँव-
दौड़ जाती है तेरी तरफ ...!!

गर मिले वो तुझको,
तो उतार लेना वो लफ्ज़-
अपने जहन के किसी कोने में
महफूज कर लेना....!!

और मेरी उस नज़्म के पांव के छालों पर,
लगा देना तुम अपनी मोहब्बत का लेप.....!!



मानव मेहता 'मन'